हमारे कुछ दोस्त हमारे ही पीठ पीछे हमारे ओर दोस्तों से हमारी ही बुराई बढ़ चढ़ के करते हैं, लगता ही नहीं अब कि दोस्ती भरोसेमंद है, ये तो एक चैन है, जो सिर्फ लम्बी हो सकती हैं, इसमें दो कड़ियाँ ही आपस मे जुड़ पाती है, और ऐसी हज़ारों दो दो कड़ियाँ मिलकर एक चैन बना लेती हैं, अब एक कड़ी दो अन्य कडियों से जुड़ी हुई है, लेकिन सब कड़ियाँ एक साथ नहीं आ सकती, क्योंकि इससे चैन के उलझनें का डर है, अच्छा है कि कुछ दो-तीन दोस्त आपस मे जुड़े रहें, सभी एक साथ आ गए तो उलझनें बढ़ सकती हैं, बस यह ध्यान रखें कि, जिससे जुड़े हैं उससे, उसकी और अपनी के अलावा किसी और दोस्त की कोई बात न करें, हाँ,सारे दोस्तों को याद जरूर कर सकते है, पर उनकी कोई भी बात ईधर उधर ना करें, इस चैन की सारी कड़ियाँ बहुत ही गहरे विश्वास और भरोसे से बंधी हुई है, इसीलिए ये चैन अभी तक टिकी हुई है, इस भरोसे और विश्वास को बना कर रखिए, ज्यादा बाते नहीं हो खुद की तो मत कीजिए औरों की, क्योंकि बनने में समय लगता है, टूटने में नहीं, अपने काम से काम रखिये, नहीं हो तो आराम कीजिए, बस एक दूसरे को धोखे में मत रखिये, नाज़ुक सी ड़ोर है सँवार कर रखिये.... ©अर्पिता #दगाबाज़ दोस्त