चल जिंदगी थोड़ा और चलें.. हम चुनौतियों को तोड़ चलें.. अनदेखे अनजान सफर में, हम सपने सारे जोड़ चले। चल जिंदगी थोड़ा और पलें.. नये पुराने कुछ मोड़ चलें.. अनदेखे अनजान लोक में, यादों की लड़ियाँ जोड़ चले। चल जिंदगी थोड़ा और मिले.. हम रिश्तों में थोड़ा और ढले.. अनसुने अनजान लबो से.. बातें अनकही बोल चले। चल जिंदगी थोड़ा और घुलें महक कर थोड़ा और खिले.. अनसुने अनजान गीतों से, अपने किस्से यहाँ छोड़ चलें। कवि आनंद दाधीच। भारत ©Anand Dadhich #जिंदगी #poemonlife #lovelypoems #kaviananddadhich #poetananddadhich #Flower