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प्रयास अब, आरंभ हो चुकी है यात्रा, ज्ञात से अ

प्रयास
     अब,
आरंभ हो चुकी है यात्रा,
ज्ञात से अज्ञात की ओर,
अंत से अंनत की ओर,
सीमित से चलकर-असीमित की ओर,
शिशु के रुप में,
प्रवेश लिया था पृथ्वी पर 
दिन, महीने,साल या फिर दशक,
अनगिन दिवस- यात्रा में ही रहे,
विचार-दर्शन-संस्कार-धर्म से
प्रभावित होते ही रहें हम,
भ्रमित भी होते रहे
इन सबसे हम,
गुजरते पलों के साथ 
गुजरते गये हम,
स्वर्ग यहीं था-नर्क यहीं था,
भोगे हमने कितने पल
कितने प्रश्नों के भ॔वर जाल में
उतराते रहे पल-प्रतिपल
पाया अब जाकर इक उत्तर -इक सत्य
प्रेम ही इक मात्र विकल्प,
करो प्रेम और जियो प्रेम में
जीने दो सबको-केवल प्रेम में

©purvarth #प्रयास
प्रयास
     अब,
आरंभ हो चुकी है यात्रा,
ज्ञात से अज्ञात की ओर,
अंत से अंनत की ओर,
सीमित से चलकर-असीमित की ओर,
शिशु के रुप में,
प्रवेश लिया था पृथ्वी पर 
दिन, महीने,साल या फिर दशक,
अनगिन दिवस- यात्रा में ही रहे,
विचार-दर्शन-संस्कार-धर्म से
प्रभावित होते ही रहें हम,
भ्रमित भी होते रहे
इन सबसे हम,
गुजरते पलों के साथ 
गुजरते गये हम,
स्वर्ग यहीं था-नर्क यहीं था,
भोगे हमने कितने पल
कितने प्रश्नों के भ॔वर जाल में
उतराते रहे पल-प्रतिपल
पाया अब जाकर इक उत्तर -इक सत्य
प्रेम ही इक मात्र विकल्प,
करो प्रेम और जियो प्रेम में
जीने दो सबको-केवल प्रेम में

©purvarth #प्रयास