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तुम्हीं हो राम को प्यारे । तुम्हीं हर कष्ट को टारे

तुम्हीं हो राम को प्यारे ।
तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।।
तुम्हीं को हम सदा ध्यावें ।
तुम्हीं से आस हम पावें ।।१

नहीं चाहा कभी आधा ।
सुनो हे रुकमणी राधा ।।
न रूठो याचना तुमसे ।
मिला तुम भी करो हमसे ।।२

         महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुम्हीं हो राम को प्यारे ।
तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।।
तुम्हीं को हम सदा ध्यावें ।
तुम्हीं से आस हम पावें ।।१

नहीं चाहा कभी आधा ।
सुनो हे रुकमणी राधा ।।
न रूठो याचना तुमसे ।
तुम्हीं हो राम को प्यारे ।
तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।।
तुम्हीं को हम सदा ध्यावें ।
तुम्हीं से आस हम पावें ।।१

नहीं चाहा कभी आधा ।
सुनो हे रुकमणी राधा ।।
न रूठो याचना तुमसे ।
मिला तुम भी करो हमसे ।।२

         महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुम्हीं हो राम को प्यारे ।
तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।।
तुम्हीं को हम सदा ध्यावें ।
तुम्हीं से आस हम पावें ।।१

नहीं चाहा कभी आधा ।
सुनो हे रुकमणी राधा ।।
न रूठो याचना तुमसे ।

तुम्हीं हो राम को प्यारे । तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।। तुम्हीं को हम सदा ध्यावें । तुम्हीं से आस हम पावें ।।१ नहीं चाहा कभी आधा । सुनो हे रुकमणी राधा ।। न रूठो याचना तुमसे । #कविता #selfhate