तुम्हीं हो राम को प्यारे । तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।। तुम्हीं को हम सदा ध्यावें । तुम्हीं से आस हम पावें ।।१ नहीं चाहा कभी आधा । सुनो हे रुकमणी राधा ।। न रूठो याचना तुमसे । मिला तुम भी करो हमसे ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुम्हीं हो राम को प्यारे । तुम्हीं हर कष्ट को टारे ।। तुम्हीं को हम सदा ध्यावें । तुम्हीं से आस हम पावें ।।१ नहीं चाहा कभी आधा । सुनो हे रुकमणी राधा ।। न रूठो याचना तुमसे ।