ऐ लम्हे कुछ देर और ठहर जा ना तू देख आज मेरे वक़्त का हिसाब ना कर आज उनसे मेरी मुलाकात बांकी है अभी-अभी तो तारो ने चमकना शुरू किया है अभी मेरे चाँद का चमकना अभी बांकी हैं तू खामखाह बैर मत पाल ना मुझसे तू जरा धीरे-धीरे जा ना अभी अभी तो शुरू किया है उनकी नजरो से नजरे मिलाना अभी उनके केशो में उंगलिया फिराना बांकी है थोडा और घुलने दे ना चीनी को चाय की केतली में अभी तो लबो से चुस्कियाँ लेना बांकी है देख अभी भी जल रही है मोम उसे जरा पिघलने तो दें ना आज उनसे मेरी बात बांकी है दिल में जो कैद है जज्बात आज उनका आजाद होना बांकी है--अभिषेक राजहंस अभी उनसे मुलाक़ात बांकी है