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** बारिश ** ( रिमझिम कविता ) बीत गए कई बरस ,तुम्

 ** बारिश ** ( रिमझिम कविता )

बीत गए कई बरस ,तुम्हारे इंतज़ार में,
आनंद नही आता किसी भी तीज त्यौहार में,

बारिश  भी  नही  भिगोती अब रूह को मेरी,
दामन से बन्धी जो रहती है ,अनंत यादें तेरी,

सावन भी आकर अब तो रीता ही चला जाता है,
मोर पपीहा भी गाकर , कहाँ  मन  को लुभाता है,

अबकी बार यादों में आओ ,तो बारिश की बूंदें लेते आना,
तपती हुई मन की धरा की ,तुम प्यास बुझा जाना,

कैसे विरहन  ,अनछुई बारिश के दिन गुज़ारती  है,
तुम आओगे जरूर एक दिन, मन से कहाँ हारती है,

जब छूकर गुजरेंगी तुम्हे बारिश की बूंदे ,
उन्हें आँखों मे भर लूँगी,
मोर पपीहे की मधुर ध्वनि को ,
तेरी आवाज़ समझ आत्मसात कर लूँगी ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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