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poonam atrey
** बारिश ** ( रिमझिम कविता ) बीत गए कई बरस ,तुम्हारे इंतज़ार में, आनंद नही आता किसी भी तीज त्यौहार में, बारिश भी नही भिगोती अब रूह को मेरी, दामन से बन्धी जो रहती है ,अनंत यादें तेरी, सावन भी आकर अब तो रीता ही चला जाता है, मोर पपीहा भी गाकर , कहाँ मन को लुभाता है, अबकी बार यादों में आओ ,तो बारिश की बूंदें लेते आना, तपती हुई मन की धरा की ,तुम प्यास बुझा जाना, कैसे विरहन ,अनछुई बारिश के दिन गुज़ारती है, तुम आओगे जरूर एक दिन, मन से कहाँ हारती है, जब छूकर गुजरेंगी तुम्हे बारिश की बूंदे , उन्हें आँखों मे भर लूँगी, मोर पपीहे की मधुर ध्वनि को , तेरी आवाज़ समझ आत्मसात कर लूँगी ।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #रिमझिमकविता @gyanendra pandey Sunita Pathania Anil Ray Praveen Jain "पल्लव" Mili Saha Senty Poet sana naaz वंदना .... Puja Udeshi रविन्द्र 'गुल' ek shayar Pankaj SURAJ PAL SINGH अदनासा- Banarasi.. शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Payal Das Bratati RUPENDRA SAHU "रूप" Mukesh fan karoake singer अजनबी Mahi "ARSH"ارشد भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन कवि संतोष बड़कुर GULSHAN KUMAR Sita Prasad Balwinder Pal पथिक Raj Guru Bhavana kmishra Ambika Mallik shashi kala mahto Reema Mittal Unnati Upadhyay Shilpi
Krish Vj
1) कविता :-रिमझिम बिन तेरे तपन को बढ़ाती है यह बारिश की बूँदें मन को मेरे, तिल तिल जलाती बारिश की बूँदें सावन अधूरा तुम बिन, आँखों में ये नमी सी है भीगता सिर्फ़ यह तन, मन सुखाती है यह बूँदें मिट्टी की महक याद दिलाती, सोंधी खुशबु तेरी प्यासा हूँ, सावन में भी, बरसती बारिश की बूँदें यादों का सावन निराला, ताकती पलकें मेरी ये यार कहाँ मिलने वाला, 'तड़पाती' मुझे यह बूँदें रिमझिम बरसती घटायें, ये ख़्वाब तोड़ जाती है मिलन होगा सावन में, पर रह जाती है यह बूँदें #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkरिमझिम #रिमझिमकविता #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम
Poonam Suyal
पिया तुम्हारी याद सताए (अनुशीर्षक में पढ़ें) पिया तुम्हारी याद सताए टिप-टिप बरसा पानी, दिल में जगाए प्यास उनसे मिलने की, जगने लगी इक आस समा हुआ रंगीन,
Nitesh Prajapati
"रिमझिम बारिश" टूटता है जब धरा के, सब्र का बांध, गिरती है रिमझिम बारिश की बूंँदे, धरा की प्यास बुझाने के लिए। धरतीपुत्र की जान में जान आती है, और नये बीज में अंकुर फूटते हैं, पत्तों से ओस की बूंँदे गिरती है और, एक आशिक को अपनी प्रेयसी याद आती है। गली मोहल्लों में पानी का प्रवाह बहता है, बच्चों को कागज़ की नाव याद आती है, और एक दूर बैठे प्रीतम को, अपनी प्रियतमा याद आती है। रिमझिम बारिश है, एक ऐसा अनछुआ अहसास, के कोई भीगता है मीठी यादों से, तो कोई भीगता है अपने आँसूओ से। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-1 #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़
Dr Upama Singh
बरसात की ख्वाहिश बरसात का मौसम कहांँ हम कहांँ तुम रिमझिम बरसते बादल पुकारता तुझे मेरा आँचल अब तो लौट आओ सजन दिल में जगी है प्रेम अगन बारिश की बूंँद बन बरस जा मुझ पर समंदर बन समेट लूंँ हर बूंँद को बारिश के बहाने दिल के तराने ढूंँढें दिल तुझसे मिलने के बहाने बस तेरे संग भीग लूंँ यही ख्वाहिश है आज भी हमें उस बारिश की तलाश है #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #रिमझिमकविता #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिम #collabwithकोराकाग़ज़
Tarot Card Reader Neha Mathur
💞ऐ सखी री रिमझिम बूंदों की फुहार सजन को दे आ संदेशा मेरा लागी ऐसी लग्न, जिया मेघ बन धड़के मेरा ओ री सुन लेना.... उनकी भी हो कोई व्यथा या सता रहा हो कोई तंज का अनमना सा ढंग, फिर कहना कि तू ले आएगी बदरिया की फुहार अपने संग उसमें भीगेंगें मोरे साजन फिर हर कली है मुस्काई मोर पपीहा नाचेंगें मलंग, कह देना गृह द्वार पर बैठी गा रही कोकिला भी मधुर गीत की धुन, मिलन आस की लाज चुनरिया में थिरकता मोरा तन मन, रोम रोम में सिहर उठती स्वपन लोक की चंचल स्निग्धता जैसे जलतरंग, प्रणय मिलन के अभिन्नदन के लिए पुष्प सुगंधित से सजता मेरा गेरूआ रंग।💞 *नेहा माथुर* Pic credit:- Pinterest and google #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
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रिमझिम बारिश 🌧 रिमझिम बारिश आयी है बूँदों से भिगोने आयी है , चमकते मोती जैसी बूँदें सभी को ये भरमायी है। लहलहाते खेतों में अब झूम रहे सब पेड़ हैं, सुंदर रूप प्रकृति का
DR. SANJU TRIPATHI
कभी जो बरसती है बरखा कभी जो बरसती है बरखा तो हम भी रोकर अश्कों को छुपा लिया करते हैं। दिल में तन्हाई पलती है पर फिर भी लबों पर मुस्कान सजा लिया करते हैं। जिंदगी में जिम्मेदारियांँ व फर्ज निभाने में कई ख्वाहिशें अधूरी ही रह गई हैं, हृदय की बंजर जमीन पर कल्पनाओं के फूल खिला खुश हो लिया करते हैं। प्रियतम तुम बिन जीवन मेरा पतझड़ के जैसा उजड़ा-उजड़ा सा लगता है, विरह के गीतों की तुरपाई से ही विरह के घावों को हम भर लिया करते हैं। एक दूसरे के दिल की धड़कन बनकर एक दूजे के दिल में ही हम रहते हैं। मिट जाएगी एक दिन सदियों की दूरी इसी आस में रोज जी लिया करते हैं। तुम बिन मुरझा गया है मेरे प्रेम का पुष्प, जानता हूंँ फिर से ना खिल पाएगा, तू है सांँसो में मन में जुगनू सा जलकर रातों में ख्वाबों में मिल लिया करते हैं। प्रेम के दीपों के संग गमों का समंदर दिल में लिए हम जीवन जिए जा रहे हैं, हाल-ए-दिल छुपाकर अपनी मुस्कुराहट से महफिलों को सजा लिया करते हैं। #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़
yogesh atmaram ambawale
उन्हें भूलने की कोशिश में, कुछ ज्यादा ही हम उन्हें याद करते हैं| कहर तो तब होता है जब बारिश शुरू होती है, जिन्हें भूलने की कोशिश रहती है वही ज्यादा याद आती है| अच्छा लगता था उसे वर्षा मौसम का आनंद लेना, दूर सफर पर जाते हुए बारिश में मस्त होकर भीगना| रिमझिम गिरे बारिश हो या कितनी भी धुआंधार, मुझसे भी ज्यादा शायद वो बारिश से करती थी प्यार| बारिश ही है जो हमारे बीच दूरियों को है लाई, बारिश में ना भीगने की सलाह ही मेरी खता हो गई| पता था मुझे बारिश में भीगना और बारिश उसे कितनी पसंद थी, फिर भी मैंने उसे ना भीगने को कहा तो वो मुझसे खफा थी| ठीक है होती है गलतियां,तो उसे सुधारने की भी कोशिश होती है, पर यूं हमेशा के लिए रूठ कर जाना,भी कोई बात होती है| गई जो वो छोड़कर मुझे वजह उसकी ये बारिश ही थी, अब मैं भीग रहा हूं जिस बारिश में वो बारिश उसकी याद थी| बारिश के कारण... #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ उन्हें भूलने की कोशिश में, कुछ ज्यादा ही हम उन्हें याद करते हैं| कहर तो तब होता है जब बारिश शुरू होती है, जिन्हें भूलने की कोशिश रहती है वही ज्यादा याद आती है| अच्छा लगता था उसे वर्षा मौसम का आनंद लेना, दूर सफर पर जाते हुए बारिश में मस्त होकर भीगना|
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रिमझिम बरसे फुहार चल पड़ी बयार ठंडी छाई घटा अंबर पर ऐसे लो सावन की रिमझिम फुहार संग ले आई, लहलहा रही फसलें बयार में चहक रहे पंछी मोर नृत्य करते पंख फैलाये वातावरण की शुद्धिकरण हुई, मन भी हुआ हर्षित ऐसा मानों थोड़ा ही सही जीवन का कुछ तो ग़म इस बौछार में कम हुआ, भूल गये हम कुछ वक्त के जीवन के संघर्षों को नवचेतन मन में ऐसा जाग्रत हुआ, भीगे हम भीगे सारे ग़म कुछ तो मन का बोझ कम है हुआ, अबके लगी बरसात कुछ ऐसी पहली दफा हमने अपने मन को खुश है किया, पहला_चरण_रिमझिम कविता शीर्षक _रिमझिम बरसे फुहार (कविता) #रिमझिम #kkरिमझिम #कोराकाग़ज़रिमझिम #रिमझिमकविता #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #tarunasharma0004