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सर पे हाथ तेरा है, कि तेरी छत्रछाया है, काल को हर

सर पे हाथ तेरा है, कि तेरी छत्रछाया है,
काल को हर ले, महाकाल तेरी माया है।

तू उसका सारथी, जो दुख का सताया है,
उसका काल है तू, जो रक्त में नहाया है।

तू आदि है,अनंत है, भस्म युक्त काया है, 
कि नर में, नारी में, सब में तू समाया है।

आरंभ है,अंत है, सृष्टि शिव का साया है,
शिव तत्व है, जीव तत्व शिव से आया है।

©Diwan G
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