फुरसत मिले कभी .. तो आना कभी मेरे दर पर कीमत क्या है तेरी तुझको बताऊंगी। बिछा के गोदी की चादर तुझको पास अपने सुलाऊंगी। खुशी होगी इतनी की इस खुशी की खुदकुशी में मर जाउंगी। फ़ुरसत मिले कभी तो आना मेरे दर पर.. कितना किया इंतजार इस पल का रख के हाथ सर पर तेरे तुझको जताऊंगी। अधूरी शाम रही कितनी तेरे इंतज़ार में .. श्रृंगार भी रहा अधूरा आज तुझे सज कर दिखाऊंगी। फुरसत मिले कभी.. तो आना मेरे दर पर .. दीप में नयी उमंग के जलाऊंगी। कुछ तू कहना कुछ मैं कुछ... तू कहना कुछ मै यादों को चादर फ़िर तुझको ओढ़ाऊंगी। बेरंग सी रही ज़िन्दगी अब रंगीले रंगो को आंगन में उड़ाऊंगी। सहम तो जाउंगी में तेरे यू आने से ... वापस ना जाए तू कभी इस डर से तेरे लिपट जाऊंगी। फ़ुरसत मिले कभी तो.. आना मेरे दर पर क्या है कीमत तेरी मेरे जहां में ये तुझको जताऊंगी। फ़ुरसत मिले तो अना कभी... "अलंकृता" #Life# alankrita# love