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nehasharma7447
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Neha Sharma

खुशी धुंड लो हर पल में वही ज़िन्दगी है

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Neha Sharma

एक तवायफ
हां हूं मै तवायफ तो क्या ग़लत है इसमें
 आओगे महफ़िल में मेरी .. एक जाम भी ना पूरा ले पाओगे
हर पल मुझको जीता .. हर पल मुझको मारता पाओगे।
नरभक्षियो के लिए जो तवायफ पल्लू  अपना गिराती है..
पेट भरती है वो लोगो का.. उसी दामन में अपने लाल को भी दूध पिलाती है।
हां हूं मै तवायफ तो क्या ग़लत है इसमें
भूख नहीं मिटती लोगो की हर रोज यहां वो आते है 
नन्हा बच्चा ,मा के आंचल, बीवी छोड़ ताकत यहां आजमाते है
देते है मुंह मांगे पैसे भी जाम यहां लगाते है
वासना के  मोह में नन्ही चिड़िया को भी नोच खाते है।
नो दिन कर पूजा देवी की भक्त खुद को बताते है..  दशहरा पूज कर देवी को फिर किसी चौराहे पर मार  गीराते है 
हा हूं मै तवायफ तो क्या ग़लत है इसमें
 मै भी अपना घर चलती हूं
महफ़िल में हस्ती हूं .. तन्हाई में लाज छुपाती हूं
हर शाम को मैं भी 
घर में दिया जलाती हूं
मंदिर जैसे मेरे घर को फिर मै कोठा बनाती हूं।
चूड़ी बिंदी माथे पर ..सिंदूर मै भी सजाती हूं स्त्री हूं... मै भी करवा चोथ का व्रत निभाती हूं
बड़ा दुख हुआ ये सुन कर .. दस माह की बच्ची पर ताकत को आजमाया हैं
क्यू भूल गया तू .. तूने भी जन्म एक स्त्री की कोख़ से पाया है।
लो आजमा लो ताकत को अपनी मै लाज का पर्दा हटाती हूं
मै तवायफ हूं उन नन्ही बच्चियों के लिए खुद को सुपुर्द कराती हूं।
सुबह को बेवा .. ...दुल्हन है रात तवायफ की जिन्दगी।।।
है हूं मै तवायफ तो क्या ग़लत है इसमें
"alankrita" Aman kesharwani Rahul Jaiswal Pratik Bhala (pratik writes) Ashuman Sai Yogi ravaldev

Aman kesharwani Rahul Jaiswal Pratik Bhala (pratik writes) Ashuman Sai Yogi ravaldev #कविता

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Neha Sharma

है चांद सा रोशन चेहरा तेरा... पर वो चांद भी तो दागी है
कैसे करू तुलना तेरी उससे .. तेरा चरित्र तो बेदागी है। 
 है खूबसूरत तो मगर वो सबसे...
पर सूरत तेरी भी सादी है
छू ना सकते उसको बस दूर से देखने की व्याधि है।
करुगी मुकदमा तेरे सब आशिको पर 
वो तुझको अपना बताते है
कह दो उनको जा कर.. हो तुम मेरे
मेरे महबूब को सबके चांद सा सुंदर बताते है।
वो चांद है सबका एक...
तुमको तो बस मेरा होना है
मिल जाओ मुझमें इतना
तुमको मुझसा और मुझको तुम में खोना है।
क्या गुरूर  उस चांद को अपनी चांदनी पर
मै उसको कपटी बताती हूं
आता है पल भर को 
झपक के पलके सूरज से मै मिल जाती हूं।
रहो साथ मेरे हर पल मुझे पूरा बन कर रहना है
मत करना घमंड तेरी रोशनी पर..मुझे अमावस के चांद सा नहीं खोना है
आसमान जैसा बड़ा है जीवन ... देखो तारे भी साथ छोड़ जाते है..
टूट कर ऐसे नभ में ही खो जाते है..
चांद नहीं ना सूरज ना नाही अपनी परछाई बनाना तुझको चाहती हूं...
परछाई भी छोड़ देती है साथ अंधकार में
मै तुम हर दम तक मुझमें धड़कते देखना चाहती हूं

है चांद सा रोशन चेहरा तेरा... पर वो चांद भी तो दागी है
"अलंकृता" #Chand  ABHI MAHAJAN R L kumar SHAILESH TIWARI faraz... Aman kesharwani

#Chand ABHI MAHAJAN R L kumar SHAILESH TIWARI faraz... Aman kesharwani #कविता

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Neha Sharma

खामोशी
कुछ यू कहती हूं  मै खामोशी से ......
तुम हर रोज आया करो रातो में
कमबख्त हमें नींद बड़ी आती है
बालकोनी में लगी रात की रानी की महक भी बड़ा सताती है।

आती है याद फिर उनकी .. लिपटे थे हम उनके सीने पर सर रख
..वो महक फिर ज़हेन में घर कर जाती है ।

खामोशी तुम रोज आया करो रात में..

जो देखू चांद को तो...ठंडक बड़ा सताती हैं।
आना तुम चांद की चांदनी बन कर ....
तोड़ेंगे घमंड उसका.... जो ठंडक उसकी दिखाती हैं।
खामोशी तुम आया करो रातो में

कुछ हारे किस्सों को तुमसे कहना है.
जीती  भी हूं कई  मर्तबा वो लम्हा भी फिर से जीना है।

रख मथा तेरे सन्नाटे पर .. कुछ राज तुझे बताना है
बस तुझ पर ही है विश्वास पूरा 
हमराज तुझे बनाना हैं।

खामोशी तुम आया करो रातो में
तुमको खुल कर हस कर दिखाना है...
मूंद लुगी आखो को फिर मैं ... उस दर्द का एहसास सिर्फ तुमको कराना है।
खामोशी तुम आया करो रातो में
"अलंकृता" love#poetry#hobby#khamoshi

lovepoetryhobbykhamoshi #कविता

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Neha Sharma

मुझे सादगी तुम्हारी बड़ी प्यारी लगती है।
अब तुम्हारे साथ हर सुबह ईद.. हर रात दीवाली लगती है।
कहते हो कभी कुछ यू ...तो बातो में बड़ी समझदारी लगती हैं।
मुझे सादगी तुम्हारी बड़ी प्यारी लगती है।
झूठ था ..तेरा वो कहना..२
की.. बोलते नहीं हम पर तुमको सुन ना चाहते है
थोड़ा जाना तुमको तो अब हम भी तुमको ये बताना चाहते है
फर्क नहीं कुछ खास हम में बस थोड़ी सी नादानी है 
कुछ मेरे किस्से ...तो कुछ तेरी भी कहानी है।
संग तेरे अब यू ही हर सपना सजा लेगे 
चिड़ाते हो तुम बहोत 
पर फिर भी तुम्हें अपना बना लेंगे।
वादों कसमो की तो क्या कहूं ये सब बेगारी लगती है..२
कुछ अच्छा लगा तो बस ..तेरी सादगी बड़ी प्यारी लगती है।
साथ है उम्र भर का तुम भी मुझे अपना बना लेना .
कैद भी करना चाहो जो मुझे... तो बाहों में पनाह देना।
कर दूं जो गलती तो प्यार से समझा देना 
अब तेरी ही तो हूं मै 
थोड़ा बचपना अपना लेना।
छुपाते तो बहोत हो तुम मुझसे खुद के किस्से कहानी 
जीत लुगी तुमको तुमसे ..संगिनी हूं .. नहीं कोई अधूरी प्रेम कहानी ।
हस के रहुगी प्यार भरपूर जताऊंगी
तुम दोगे ना साथ मेरा में सब से लड़ जाउंगी।
हो प्यारे बड़े खुद के भी करीब जताते हो
तुम्हारी ही हूं मै फिर क्यों इतना घबराते हो ।
कुछ किस्से तुम्हारे ..बातो में जो मुझे बताते हो
पल भर को हस्ते हो 
खुद को छवि दिखाते हो।
तुम्हारी इस सादगी पर मैं एक छोटा सा सपना सजाती हूं
हाथ पकड़ कर तुम्हारा बारिश में चलना चाहती हूं।
                         यू ही रहना सरल जीवन में ..मै तुम संग जीना चाहूंगी
                                तुम बस कहते रहना मै एक टक तुमको सुनती जाउंगी।
पहना के बाहों का हार ..सर सीने पर रखना चाहूंगी
मै जीवन भर तुमको मुस्कुराता देखना चाहूंगी।
मुस्कुरा देना फिर तुम भी थोड़ा सा ...अपनापन जाता देना 
थाम के रखना हाथ मेरा ..हौसला भी थोड़ा बढ़ा देना।
सादगी पर लो वारा सब मैंने ...तुम बस साथ निभा देना 
माथे को चूम के मेरे.. धड़कन थोड़ी बढ़ा देना।
मुझे सादगी तुम्हारी बड़ी प्यारी लगती है। #nojoto#love# hubbywife

nojoto#Love# hubbywife #शायरी

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Neha Sharma

बचपन और लंच ब्रेक 

स्कूल की वो घंटी बजती।
छोड़ के बस्ते सब बाहर को भगती।
तीस मिनट का ब्रेक था आता
भाग के मुन्ना टिफिन लाता।
आचार रोटी को महक थी भाती
तू क्या लाया और तू टिफिन क्यों है छुपाती।
मां देती खर्ची दो रुपए थी 
कुछ खा लेना बेटा ऐसे थी कहती। 
दो रुपए का क्रीम रोल था आता
दोस्तो मैं उसको भी बाटा जाता।
खेलने की बारी जब आती
दाम तू देगा मै कच्ची घोड़ी हूं भाई।
मिट्टी का फिर घर बनाते
ये रास्ता घर का ..फिर वहां नदी बहाते।
भाग के खेलते पकड़म पकड़ाई
फिर घंटी बजती
भागो गणित की मैडम है आई।
बचपन का लंच ब्रेक
अब कहा मिलता है
हसने को तो मिलता पर स्कूल नहीं मिलता।
अलंकृता #lunchbreak#nojoto#memories#  Shruti Deshraj Wadi Soniya Kumari Kanchan Balwan Chauhan Parveen

#lunchbreaknojoto#Memories# Shruti Deshraj Wadi Soniya Kumari Kanchan Balwan Chauhan Parveen #कविता

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Neha Sharma

हमसफ़र 
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे
मैं जिंदगी की हर रीत निभाऊंगी
बस थाम के यू हाथ तेरा संग तेरे चलती जाऊंगी।
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे..
रखूंगी खयाल तेरा इस कदर
तुझमें ही रम जाऊंगी
कुछ रूठुगी तुझसे तो कभी तुझको भी मनाऊंगी
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे...
कभी हो जो चाय मे चीनी कम 
तुम प्यार से मुझको समझा देना
हो जाए जो खारा सब खाना 
चुपके से मुझको बाता देना।
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे...
यू ही दोगे साथ मेरा मै सब कुछ निभा जाउंगी
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे...
अर्धांगिनी तो बनुंगी तुम्हारी
पर दोस्त पहले कहलाऊंगी
दूंगी गुलाब हाथो में तुम्हारे
प्यार की लीख बढ़ाऊंगी।
हमसफ़र तू मिल जा  मुझे..
हाथ पकड़ के चलेंगे हम यू
जो कभी थोड़ा सा ड्गमगाएगे
विश्वास हो जो एक दूजे पर
सब कुछ जीत दिखाएंगे 
हमसफ़र तू मिल जा मुझे..
"अलंकृता" #हमसफ़र# love# Shruti Deshraj Wadi Alok Kumar Kanchan Balwan Chauhan Jwala Kumar

#हमसफ़र# love# Shruti Deshraj Wadi Alok Kumar Kanchan Balwan Chauhan Jwala Kumar #कविता

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Neha Sharma

Fit India Movement खुद को फिट रखने के लिए

मै खुद को फिट रखने के लिए 
थोड़ा सा गुनगुनाती हूं 
बैचैनी हो जो हल्की सी मन में 
परिंदों से कुछ सीख के आती हूं ।
उड़ते नभ मस्त मगन में उचाईओ को जो चूमते हैं
क्या परवाह दाने पानी की
वो मस्त मग्न रहते हैं।
मै खुद को फिट रखने के लिए 
बागों में घूमने जाती हूं।
हरियाली देख के बाग़ की शीतलता खुद में पाती हूं।
हो जाऊ जो हताश कभी तो
इक सीधा नुस्खा अपनाती हू
छुप के मां के आंचल में 
मंत्र मुग्ध हो जाती हूं।
मै खुद को फिट रखने के लिए 
आईना खुद को दिखाती हूं
हस्ती हूं तो गालों के खड्डे देख फिर से मुस्कुराती हूं।
मै खुद को फिट रखने के लिए 
बस चलते रहना चाहती हूं
वक़्त बदलता है सबका में बस हस्ते रहना चाहती हूं।
मै खुद को फिट रखने के लिए 
सबको खुश रखना चाहती हूं
वक़्त के साथ बदलता है सब 
मै बचपन खुद में जिंदा रखना चाहती हूं
"अलंकृता" #FitIndiaMovement#happiness# Love
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Neha Sharma

कॉलेज वाली चाय की टपरी, 
कॉलेज वाली चाय की टपरी

कॉलेज वाली चाय की टपरी बड़ी याद आती है।
अदरक का स्वाद इलायची की महक जहन में घर कर जाती है।
महकी है चाय की खुशबू के साथ यारी की भीनी महक ..

कुछ पल के लिए यादों को जिंदा और कड़क कर जाती है।
कॉलेज वाली चाय की टपरी ...........💓💓 collage ki chai ki tapri# nojoto# love# feelings

collage ki chai ki tapri# nojoto# love# feelings #कविता

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Neha Sharma

फुरसत मिले कभी ..
तो आना कभी मेरे दर पर 
कीमत क्या है तेरी तुझको बताऊंगी।
बिछा के गोदी की चादर तुझको पास अपने सुलाऊंगी।
खुशी होगी इतनी की इस खुशी की खुदकुशी में मर जाउंगी।
फ़ुरसत मिले कभी तो आना मेरे दर पर.. 
कितना किया इंतजार इस पल का 
रख के हाथ सर पर तेरे तुझको जताऊंगी।
अधूरी शाम रही कितनी तेरे इंतज़ार में ..
श्रृंगार  भी रहा अधूरा 
आज तुझे सज कर दिखाऊंगी।
फुरसत मिले कभी..
 तो आना मेरे दर पर ..
दीप में नयी उमंग के जलाऊंगी।
कुछ तू कहना कुछ मैं
कुछ... तू कहना कुछ मै
यादों को चादर फ़िर तुझको ओढ़ाऊंगी।
बेरंग सी रही ज़िन्दगी 
अब रंगीले रंगो को आंगन में उड़ाऊंगी।
सहम तो जाउंगी में तेरे यू आने से ...
वापस ना जाए तू कभी इस डर से तेरे लिपट जाऊंगी।
फ़ुरसत मिले कभी तो.. 
आना मेरे दर पर क्या है  कीमत तेरी मेरे जहां में ये तुझको जताऊंगी।

फ़ुरसत मिले तो अना कभी... 
"अलंकृता" #Life# alankrita# love

#Life# alankrita# love


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