अपराध बोध से ग्रसित है ये स्वच्छद हवाएं चुप चाप आकर मेरी महंगी साँसे चुराकर ले जाती है और किसी और को लेजाकर ऊँचे दामों मे बेच देती है. कई बार वो किसी और की चुराई हुई सस्ती साँसे मुझे महंगे दामों मे बेच कर गायब हो जाती है ©Parasram Arora महंगी साँसे