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अपराध बोध से ग्रसित है ये स्वच्छद हवाएं चुप चा

अपराध  बोध से  ग्रसित है
ये स्वच्छद  हवाएं
चुप  चाप  
आकर  मेरी महंगी  साँसे
चुराकर  ले जाती है
और किसी और को लेजाकर ऊँचे दामों मे
बेच देती है.
कई बार  वो किसी और की  चुराई हुई  सस्ती
साँसे मुझे महंगे दामों मे  बेच कर
गायब हो जाती है

©Parasram Arora महंगी साँसे
अपराध  बोध से  ग्रसित है
ये स्वच्छद  हवाएं
चुप  चाप  
आकर  मेरी महंगी  साँसे
चुराकर  ले जाती है
और किसी और को लेजाकर ऊँचे दामों मे
बेच देती है.
कई बार  वो किसी और की  चुराई हुई  सस्ती
साँसे मुझे महंगे दामों मे  बेच कर
गायब हो जाती है

©Parasram Arora महंगी साँसे

महंगी साँसे #कविता