दर्द है दिनार तो , कैसे ये कंकर मोल दें ? मंदर से भरी अश्रु को, अहों के तृण से तोल दें ? झंझट की झंझा झाकियां, झंकृत करें जीवन को जब, तो ढूंढती है जान उसको, जिसे सच सब बोल दें... ©Pt Savya kabir दर्द है दिनार तो , कैसे ये कंकर मोल दें ? मंदर से भरी अश्रु को, अहों के तृण से तोल दें ? झंझट की झंझा झाकियां, झंकृत करें जीवन को जब, तो ढूंढती है जान उसको, जिसे सच सब बोल दें...#panditsavya