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दर्द है दिनार तो , कैसे ये कंकर मोल दें ? मंदर से

दर्द है दिनार तो , 
कैसे ये कंकर मोल दें ?
मंदर से भरी अश्रु को,
अहों के तृण से तोल दें ?
झंझट की झंझा झाकियां, 
झंकृत करें जीवन को जब,
तो ढूंढती है जान उसको, 
जिसे सच सब बोल दें...

©Pt Savya kabir दर्द है दिनार तो , 
कैसे ये कंकर मोल दें ?
मंदर से भरी अश्रु को,
अहों के तृण से तोल दें ?
झंझट की झंझा झाकियां, 
झंकृत करें जीवन को जब,
तो ढूंढती है जान उसको, 
जिसे सच सब बोल दें...#panditsavya
दर्द है दिनार तो , 
कैसे ये कंकर मोल दें ?
मंदर से भरी अश्रु को,
अहों के तृण से तोल दें ?
झंझट की झंझा झाकियां, 
झंकृत करें जीवन को जब,
तो ढूंढती है जान उसको, 
जिसे सच सब बोल दें...

©Pt Savya kabir दर्द है दिनार तो , 
कैसे ये कंकर मोल दें ?
मंदर से भरी अश्रु को,
अहों के तृण से तोल दें ?
झंझट की झंझा झाकियां, 
झंकृत करें जीवन को जब,
तो ढूंढती है जान उसको, 
जिसे सच सब बोल दें...#panditsavya

दर्द है दिनार तो , कैसे ये कंकर मोल दें ? मंदर से भरी अश्रु को, अहों के तृण से तोल दें ? झंझट की झंझा झाकियां, झंकृत करें जीवन को जब, तो ढूंढती है जान उसको, जिसे सच सब बोल दें...#Panditsavya #शायरी #apart