हम दरिया में डूबने उतरे थे, किनारे वो खड़ी थी, मन मे मौत का खौफ था, सामने ज़िन्दगी खड़ी थी ! दरिया का बहाव इतना था, की पैर फिसलने लगे, उसने हाथ क्या बढ़ाया, पॉव पानी पर चलने लगे ! पहुँचा किनारे पर, जब देखा उसकी आँखो में, बहाव दरिया में था, और हम उसकी आँखो में डूबने लगे ! भीगा मैं था , बदन उसका कांप रहा था, ज़िन्दगी मुझे मिली, खुशी उसकी आँखों मे झलक रहा था ! ना बदनामी का डर था, ना खौफ था किसी के देख लेने का, बस उसे देखा और मन किया गले लगाने का ! #किनारा