खुद का खुद से संवाद - एकांतवास आम ज़िन्दगी चल रही थी, तभी दस्तक दी एक महामारी ने और २३ मार्च को हम सब घरों में कैद हो गए। उसी कैद का एक बखान। आम ज़िन्दगी का दौर था। रोज़ मर्रा का शोर था। दुनियादारी चल रही थी। खुद पर ना कोई ज़ोर था। चारों ओर बस गूंजता गाड़ियों का शोर था। प्रकर्ती का दम घोंट रहा। हमारा जीवन सिकोड़ रहा। गांव का आदमी शहर ओर सरक रहा। फैक्टरी का वो काला धुआं, चारों ओर देखो बिखर रहा। एक अंधेखे दुश्मन की फिर देखो दस्तक हुई। सारी दुनिया कैद हुई। विशम परिस्थितियां देखो बन गई। पैसों की ना लालसा रही । घर की बस तलाश रही। काम धंधे सब बंद हुए। प्रकरती का फिर केहर हुआ। बाहर निकलना बैर हुआ। रुके हुए उस इंसानी शोर से , प्रकर्ती में सुधार हुआ। मां गंगा का जल पवित्र हुआ। साथ इस कैद मै, खुद का खुद से संवाद हुआ। खो गया था इस भीड़ मै, इस एकांतवास मै मेल हुआ। तब 9-5 का कॉलेज था, चारो ओर बस किताबी ढेर था। ओर कानों मै बस गूंजता , रोज़मर्रा की ज़िंदगी का शोर था। आज खुद का खुद से संवाद है, अच्छा गुरु खुद मै तेरे पास है। ये महामारी तो एक साजिश है, ऊपर वाले की एक कोशिश है। पैसे की उस दौड़ में , जहा थे हम खुद को भूल रहे, कैसे देखो आज हम खुद को पुछ रहे। सारी नश्वर चीजो से हम देखो दूर हुए। बस मां बाप के पास हुए। दोस्ती दुनिया भी सिमट गई। घर की चार दिवारी मै , खुद की दोस्ती बस रह गई। #veins #quarantine #side hustle follow me on insta @rahul_rathore009