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हे मां गंगा हम क्षमा चाहते दिल की बात कहना चाहते

हे मां गंगा हम क्षमा चाहते
 दिल की बात कहना चाहते
मानते हैं तुझको पतित पावनी 
फिर भी नादानी करते चले जाते
मां के आंचल को गंदा करते 
कूड़ेदान समझने की भूल कर जाते 
हम तेरा जल पीते और नहाते
फिर भी गंदगी डालते नहीं शरमाते

©Rajnish Shrivastava
  #संगम तट प्रयागराज

#संगम तट प्रयागराज #विचार

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