वो छूटता हुआ हाथ न रोक सके बचा सकते थे उस बिखरते रिश्ते को देखते ही रहे बस न कुछ बोल सके कुछ नही था वो कहते थे हम दोनों के दरमियां था तो बस खालीपन , झुंझलाहट और दर्द भरी सिसकियां चीख कर चिल्ला कर मैं कह देना चाहते थी मेरी वो असीम वेदना क्यो खिलौना बन बैठा ह्रदय हमारा वो जानते थे भली-भांति इससे खेलना मैं बोल सकी न , चाहती थी मैं बोलना लेकिन सुनने को तैयार न थे वो वो तो जानते थे बस ह्रदय को मेरे भेदना पीछे पलट कर भी न देखा एक बार भी या वो चाहते ही नही थे देखना ✍️रिंकी वो छूटता हुआ हाथ न रोक सके बचा सकते थे उस बिखरते रिश्ते को देखते ही रहे बस न कुछ बोल सके कुछ नही था वो कहते थे हम दोनों के दरमियां था तो बस खालीपन , झुंझलाहट और दर्द भरी सिसकियां