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*स्वतंत्रता दिवस* कैद में थी आवाज़,जकड़ी हुई थी आ

*स्वतंत्रता दिवस*

कैद में थी आवाज़,जकड़ी हुई थी आजादी
कितने सुरमा हुए कुर्बान चाहत थी आजादी
लाल रक्त से हुई धरा लाल चाह थी आजादी
बलिदानों की बलिदान से मिली थी आजादी।।

फांसी को हंस कर चूमा, लालच थी आजादी
जीवन पर्यंत कारागृह में बीता, स्वप्न आजादी
अत्याचार छाति पर झेला लालसा थी आजादी
अनन्त मां के लाल के त्याग से मिली थी आजादी।।

सोने की चिड़ियां को कैद कर छीन थी आजादी
कुतरे पंख बिखरे पंखों सी मिली थी आजादी
लड़कर बिन पंख से उड़े मन में ताकत आजादी
चिड़ियां को भारत मां बोलूं मिली आज आजादी।।

विश्व ललाट पर भारत नाम सफल होगी आजादी
प्रेम भाव सब जीवों में उन्नत देश सफल आजादी
षड्यंत्रकारी का न देना साथ गुम न जाए आजादी
अखंड भारत सम्पूर्ण भारत अब यही है आजादी।।

"गुरु प्रशस्त" कहे स्वर्णाक्षर में अंकित दिन महीना साल 
"वैभव" कार्य ऐसे ही करना बड़े विश्व में देश का मान।।

©वैभव जैन
  #स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳

स्वतंत्रता_दिवस🇮🇳 #कविता

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