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सदियों से,,, अड़हुल की कलियां अपने मुख को घुंघट

सदियों से,,,
 अड़हुल की कलियां
 अपने मुख को घुंघट में छुपा कर रखा करती हैं,,,
 उन्हें भी इंतजार रहता है
 अपने ध्येय" धूप" के स्नेह और प्रेम का,,, 
दिन के ढलने पर वे
   विरह का भार वहन नहीं कर पाती,,,, 
अपने प्रियतम वियोग में
 वे शाखों से टूट कर बिखर जाती हैं,,,,
तभी से दुल्हन की ब्याह  के पश्चात
 प्रथम रात्रि में घुंघट करने की
 प्रथा चली आ रही है..

©chanda Yadav #wordsofchanda
सदियों से,,,
 अड़हुल की कलियां
 अपने मुख को घुंघट में छुपा कर रखा करती हैं,,,
 उन्हें भी इंतजार रहता है
 अपने ध्येय" धूप" के स्नेह और प्रेम का,,, 
दिन के ढलने पर वे
   विरह का भार वहन नहीं कर पाती,,,, 
अपने प्रियतम वियोग में
 वे शाखों से टूट कर बिखर जाती हैं,,,,
तभी से दुल्हन की ब्याह  के पश्चात
 प्रथम रात्रि में घुंघट करने की
 प्रथा चली आ रही है..

©chanda Yadav #wordsofchanda