महोबत के करीब आने को बेकरार था, संभल गया ये तेरा जवाब था रुक गई हवाएं महसूस करने का तो बहाना था आपकी आँखों का इतंजार आज भी था मगर करवटों को कहा प्यार था #मितेश महेता #Love #mahobbat