#रत्नाकर कालोनी
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कथाकार ने देखा, राकेश ने अपना प्रस्ताव रखा और वर पक्ष से इजाज़त लेकर लौटने लगा.. तभी विशाल जी यशपाल जी के साथ उनसे अकेले में कुछ जरूरी बात करने बाहर आये और यशपाल जी ने कहा-" राकेश जी यूँ तो आपकी बात में काफ़ी दम है, पर आपको नहीं लगता ये सब बहुत जल्दी हो रहा है..?
राकेश-जी यशपाल जी, मैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूं और आप जिस ओर इशारा कर रहे हैं वहाँ तक भी पहुंच रहा हूं लेकिन आप पूरा विश्वास रखें इससे बेहतर जोड़ी कोई और हो ही नहीं सकती..! मानक के परिवार ने सारी जबाबदारी नोजोटो परिवार को सौंप दी है मानक की इतनी सारी बहनों को सौंपी है विवाह की बागडोर.. और हम रत्नाकर कालोनी के लोग हैं जो सबसे बढ़िया होगा उसे ही अंजाम देंगे..!
विशाल जी-वो तो ठीक है जनार्दन,, मान गए तुम्हारी इस बात को लेकिन.. इतनी जल्दी सब कुछ कैसे हो पायेगा.. शाम को सगाई एक सप्ताह में शादी.. आखिर कुछ तैयारियां भी तो करनी होती हैं...?
राकेश-मित्र जॉन, यथार्थ से बाहर निकलिए.. ! कल्पनाओं में आइये.. भावों में आइये..!
यशपाल जी-कमाल है ना..!, अब तक तो लोगों को कहते सुना है.. यथार्थ में आओ.. कल्पनाओं से निकलो.. मगर ऐसा तो पहली बार सुना स्ट्रेंज.. बट.. लवली.. !
राकेश- आपकी गरिमामयी उपस्थिति से हम धन्य होंगे यशपाल जी.. साँझ को पधारिये पलकें बिछाये आपकी राह देखूंगा..🙏 #प्रेरक