जब शुरू युद्ध सबने शंखनाद बजाया था कृष्ण को सारथी बना फिर अर्जुन ने अपना पहला तीर चलाया था युद्ध मध्य तक आते आते अर्जुन फिर घबरा गया "कैसे तीर चलाऊँ माधव! ये सब मेरे अपने हैं" इन सबको मारकर.. राज पाट मैं पाऊँ ये ना मेरे सपने हैं फिर गीता का ज्ञान देकर कृष्णा ने धर्म का मार्ग दिखाया था अपना संपूर्ण रुप दिखा कर अपने और पराए का अंतर समझाया था जब प्राप्त किया अर्जुन ने गीता के ज्ञान को तब जाकर वो समझा अभिमान और स्वाभिमान को गोविन्द के दिए ज्ञान से भर वो जब रणभूमि में आता है तब धर्म की खातिर वो अपनों पर अस्त्र-शस्त्र उठा जाता है ( भाग -2) ©Harpinder Kaur # महाभारत... कहानी अपने शब्दों में