युद्ध की टनकार सुन, तलवार की झंकार सुन। समय की करवटों में झांक, मिट्टी की पुकार सुन। सुन कि तुझपे कर्ज़ है। हवा नदी पहाड़ पेड़। सुन कि तुझपे कर्ज़ है। बादल जमीं फसल के ढेर। सुन तू कान खोल सुन, हृदय में हाहाकार सुन। पुराने वट की सिसकियां, पक्षियों की तकरार सुन। मगर सुनो की सुन के बैठ राग न मल्हार सुन। उठो की आ रहा है,सूर्य । रथ पे हो सवार सुन। नव विहान नव जगतको नव दिगन्त सोंच रख। शौर्य कर ध्यान अपने, वीरो का व्यख्यान सुन। सुन के सुन के खौल जाए, तेरे हिय का स्वर्ण भी। ढाल फिर कलम में या तू ढाल ले तलवार सुन। सुनके नियति चुन रही है, नायकों का दौर अब। खत्म कर दे दोष सब, प्यार या संहार चुन।। सुन।सुन।सुन। सुन।सुन।सुन।चुन।। निर्भय चौहान। ©nirbhay chauhan #nojoto #Love #You #tum #poetry #drishti #Anhoni