ग़ज़ल """"" अपनी औक़ात में हमको आए हुए अब तो अरसा हुआ चोट खाए हुए रिश्तों ने शक़्लें अपनी हैं यूँ ली बदल जो थे अपने वही हैं पराए हुए उन्स के खेल में टूट जाता है दिल हम कई बार हैं आज़माए हुए क्यों भला मौत से करते हैं सब गिला जबकि हैं जीस्त के सब सताए हुए कहता था मैं बहुत ख़ुश हूँ 'गुमनाम' जो वो मिला रो-के आँखें सुजाए हुए #औक़ात #ग़ज़ल #ghumnamgautam