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bench हां तेरा ही इंतजार था मुझको इस सुनसान विरान

bench हां तेरा ही
इंतजार था मुझको 
इस सुनसान विरान
खंडहर से बने हुए
इस मकान में जहां
तुम और में अक्सर 
मिला करते थे 
कभी तुम कभी में
दिल की बाते किया करते थे 
अब बदल गया सब कुछ 
अब बदल गया मंजर सारा 
कहते है खामोशी यूं ही कोरे 
कागज पर उकेरी जाती हैं
न मिलने की सजा दिल के 
अरमानों में उतारी जाती हैं
रह जाती हैं सिर्फ और सिर्फ
 यादों की जड़ी हुई किताबे 
जिनको कोई इंसान पढ़ना नही चाहता है

©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Bench हां तेरा ही
इंतजार था मुझको 
इस सुनसान विरान
खंडहर से बने हुए
इस मकान में जहां
तुम और में अक्सर 
मिला करते थे 
कभी तुम कभी में

#Bench हां तेरा ही इंतजार था मुझको इस सुनसान विरान खंडहर से बने हुए इस मकान में जहां तुम और में अक्सर मिला करते थे कभी तुम कभी में #ValentineDay

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