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हुँ हवा का झोका बह के चला जाऊंगा, तुम कितने पत्थर

हुँ हवा का झोका बह के चला जाऊंगा,
तुम कितने पत्थर बरसाओगे,,
जब आएगी तुम पर गर्मी आफत की ,
तब हमारी आहट के लिये भी तरश जओगे।।

©Rajputana Ayush Singh Chauhan Writer Abhishek Anand 96 Nîkîtã Guptā

Writer Abhishek Anand 96 Nîkîtã Guptā #कविता

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