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थक गए हो तो ज़रा देर ठहर जाओ ‘सफ़र’, क़ाफ़िला रुक

थक गए हो तो ज़रा देर ठहर जाओ ‘सफ़र’, 
क़ाफ़िला रुका तो मंज़र भी बदल जाएगा।

अभी जो काँटों से दामन उलझ जाता है,
 कल इन्हीं शाख़ों पे साया भी नज़र आएगा।

जो गिरा है अभी, हौसला रख ज़रा,
 ख़ुद यही वक़्त तुझे फिर से उठा लाएगा।

ज़ख़्म गहरे हैं मगर दर्द को मत रोक अभी, 
इक नई सुबह तिरी रूह को सहलाएगा।

हम तो दरिया थे मगर रेत पे बहना पड़ा, 
वक़्त बदलेगा तो रुख़ भी बदल जाएगा।

ज़िंदगी की हर इक चाल समझ आई मुझे,
 कोई रोता ही नहीं, वक़्त रुला जाएगा।

अंधेरों से घबराने की आदत मत डाल,
 रात गहरी है तो तारे भी चमक जाएँगे।

रास्ते मोड़ बदलते हैं, मगर याद रखो, 
जिसको मिट्टी में मिलाओगे, शजर होगी वही।

मैंने देखा है 'नवनीत' वक़्त की आँखों का हुनर,
 आज जो ख़्वाब है, हक़ीक़त में ढल जाएगा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर
थक गए हो तो ज़रा देर ठहर जाओ ‘सफ़र’, 
क़ाफ़िला रुका तो मंज़र भी बदल जाएगा।

अभी जो काँटों से दामन उलझ जाता है,
 कल इन्हीं शाख़ों पे साया भी नज़र आएगा।

जो गिरा है अभी, हौसला रख ज़रा,
 ख़ुद यही वक़्त तुझे फिर से उठा लाएगा।

ज़ख़्म गहरे हैं मगर दर्द को मत रोक अभी, 
इक नई सुबह तिरी रूह को सहलाएगा।

हम तो दरिया थे मगर रेत पे बहना पड़ा, 
वक़्त बदलेगा तो रुख़ भी बदल जाएगा।

ज़िंदगी की हर इक चाल समझ आई मुझे,
 कोई रोता ही नहीं, वक़्त रुला जाएगा।

अंधेरों से घबराने की आदत मत डाल,
 रात गहरी है तो तारे भी चमक जाएँगे।

रास्ते मोड़ बदलते हैं, मगर याद रखो, 
जिसको मिट्टी में मिलाओगे, शजर होगी वही।

मैंने देखा है 'नवनीत' वक़्त की आँखों का हुनर,
 आज जो ख़्वाब है, हक़ीक़त में ढल जाएगा।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर