ये मन मेरा हर रोज तो यूँही न डरता होगा अँधियारा उजाले को कभी तो छलता होगा वक़्त बदलने पर हर शख़्स बदल जाता है ये मौसम भी यूँ बेवज़ह न रंग बदलता होगा जब यकीं दिलाने को खानी पड़ती है कसमें तब ही भरोसा शायद धीरे धीरे से मरता होगा उसकी यादों में कई बार उदास हो जाती हूँ कभी तो रोते रोते वो भी आँखें मलता होगा ©Suman kothari #Sky