" तुझसे से मिलना फिर उस तरह मिलना ना हुआ , आरज़ू हमाम में दिल बारी - बारी नहाता रहा , जिक्र करते तुझसे ऐसे की तुझसे कुछ बात हो जाती , सब्र करते रहा मैं और तुम बारी-बारी दिलेनजर चुराते रहे ." --- रबिन्द्र राम— % & " तुझसे से मिलना फिर उस तरह मिलना ना हुआ , आरज़ू हमाम में दिल बारी - बारी नहाता रहा , जिक्र करते तुझसे ऐसे की तुझसे कुछ बात हो जाती , सब्र करते रहा मैं और तुम बारी-बारी दिलेनजर चुराते रहे ." --- रबिन्द्र राम #आरज़ू #हमाम #जिक्र