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धरा का ग्यान चक्षु है बनारस देवों की दिव्य भूमि है

धरा का ग्यान चक्षु है बनारस
देवों की दिव्य भूमि है बनारस, 
भक्ति का सार है, ये सारनाथ बनारस।
मृत्यु में अर्मत्यता का सत्य खोजता बनारस, 
महानिर्वाण के धाम का पथ
 खोलता ये बनारस।

तपस्वीयों की तपस्थली, 
देवताओं की देव-स्थली,
पतितों को पावन करती पुण्यस्थली, 
शाप विमोचिनी, पाप तिरोहिनी, 
शिव जटा प्रवाहिनी, माँ पुण्य सलिला सुरसरि ,
काशी वास निवासिनी। 

 बम-बम भोले, हर-हर भोले, 
जय उद्घघोषिनी, 
तन-मन भक्ति तरंगिणी, 
कण-कण हर चेतन, शिव भक्ति संचारिणी,
रज-रज में, हर दिक् में,
चिता-भसम उधेड़ते शीतल बयार।
मंद-मंद ध्वनि घंटनाद संग लिए बहते पवन,
भक्ति रस में डोलते, जा लिपटते
शिव जटा से।

हृदय के द्वार खोलता, निज तन के घट में,
विराजित शिवतत्व को जगाता,
मन को काशी धाम बनाता यह बनारस।

संपूर्ण सृष्टि की चेतना में,
शिव भक्ति का आवाहन करता,
यह विश्व धाम बनारस।

शव से शिव का मिलन कराता, 
चेतनता में अलख का बोध जगाता।
धन्य -धन्य है यह काशी बनारस। बनारस
धरा का ग्यान चक्षु है बनारस
देवों की दिव्य भूमि है बनारस, 
भक्ति का सार है, ये सारनाथ बनारस।
मृत्यु में अर्मत्यता का सत्य खोजता बनारस, 
महानिर्वाण के धाम का पथ
 खोलता ये बनारस।

तपस्वीयों की तपस्थली, 
देवताओं की देव-स्थली,
पतितों को पावन करती पुण्यस्थली, 
शाप विमोचिनी, पाप तिरोहिनी, 
शिव जटा प्रवाहिनी, माँ पुण्य सलिला सुरसरि ,
काशी वास निवासिनी। 

 बम-बम भोले, हर-हर भोले, 
जय उद्घघोषिनी, 
तन-मन भक्ति तरंगिणी, 
कण-कण हर चेतन, शिव भक्ति संचारिणी,
रज-रज में, हर दिक् में,
चिता-भसम उधेड़ते शीतल बयार।
मंद-मंद ध्वनि घंटनाद संग लिए बहते पवन,
भक्ति रस में डोलते, जा लिपटते
शिव जटा से।

हृदय के द्वार खोलता, निज तन के घट में,
विराजित शिवतत्व को जगाता,
मन को काशी धाम बनाता यह बनारस।

संपूर्ण सृष्टि की चेतना में,
शिव भक्ति का आवाहन करता,
यह विश्व धाम बनारस।

शव से शिव का मिलन कराता, 
चेतनता में अलख का बोध जगाता।
धन्य -धन्य है यह काशी बनारस। बनारस