ख्वाबो से जब कोई दूर खड़ा हो दिल जब चकनाचूर पड़ा हो तब कोई कैसे खुश रह पाए... तब कोई कैसे खुश रह पाए... दरिया में जब कोई बहता ही चला जाए जब सुनने वाला कोई ना हो और ये दिल कहता ही चला जाए तब कोई कैसे खुश रह पाए... तब कोई कैसे खुश रह पाए... अंजाने सफर मे बीच डगर मे जब कोई सहारा ही ना पाए समन्दर मे डूबे हुए को जब कोई किनारा ही ना पाए साँसे थमने को हो और उम्मीदे जब आधी हो जाए सारे साथी एक एक करके जब बागी हो जाए तब कोई कैसे खुश रह पाए... तब कोई कैसे खुश रह पाए... इंतजार करते करते जब बहुत देर हो जाए और घोर अंधेरी रात के बाद जब सवेर ही ना आए तब कोई कैसे खुश रह पाए... तब कोई कैसे खुश रह पाए... ©GULSHAN KUMAR तब कोई कैसे खुश रह पाए...