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हर ज़िक्र रूठा-रूठा है, कोई तो बाकी चाहिए, बड़ी उदास

हर ज़िक्र रूठा-रूठा है, कोई तो बाकी चाहिए,
बड़ी उदास है ज़िन्दगी, कोई तो साथी चाहिए।

महबूब मेरा मर मिटा, सिक्कों की चकाचौंध पर,
मुझे भीड़ में अकेले ही, चलने को साथी चाहिए।

मन भँवरा तन माटी मूरत, मेल कैसे हो भला,
तुम छोड़ बैठे महफ़िल को, कोई तो साकी चाहिए।

हर ज़िक्र रूठा-रूठा है, कोई तो बाकी चाहिए,
बड़ी उदास है ज़िन्दगी, कोई तो साथी चाहिए।।

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©Neel
  कोई तो साथी चाहिए 🍁
archanasingh1688

Neel

Silver Star
Growing Creator
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कोई तो साथी चाहिए 🍁 #शायरी

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