नज़रअंदाज़ कब से हुआ बैठा हूं; कभी तो नज़र ज़रा दीजिए, मैं बढ़ाऊंगा सौ आपकी ओर; आप एक अदद क़दम बढ़ा दीजिए, गलतियों से सही गलियों में मेरी राहें भूल जाइये किसी शाम को , निखरता रंग चहरे के दिख जायेगा; आप एक उंगली बस अड़ा दीजिए। ©Akash Kedia #holdinghands #ishq #purnima_ka_akash #ungli #nazar