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मेरे कदमों में उसने इक नया जहाँ रखा है, मैने उसे व

मेरे कदमों में उसने इक नया जहाँ रखा है, मैने उसे वहाँ रखा है उसने मुझे जहाँ रखा है..
बुजुर्गो से सुना था कि 'वो' एक है, यहाँ बाशिंदो ने तो अपना अपना खुदा रखा है..
तोड़ दिया दम फिर किसी नें बस इतनी भूख से, शरीफो ने जितना पेट भरने के बाद मरकब(थाली) में बचा रखा है..
होनी थी मेरे हक में दलीले उस अदालत में, जिसके मुंसिफ(जज) ने फाँसी का फंदा पहले से सजा रखा है..
थककर उस दरख्त(पेड़) की छाँव खोजता रहा 'अभिषेक', जिस शजर(पेड़) को काट अपना घर बना रखा है✒️✒️

©Abhishek Ranjan #socialism

#walkingalone
मेरे कदमों में उसने इक नया जहाँ रखा है, मैने उसे वहाँ रखा है उसने मुझे जहाँ रखा है..
बुजुर्गो से सुना था कि 'वो' एक है, यहाँ बाशिंदो ने तो अपना अपना खुदा रखा है..
तोड़ दिया दम फिर किसी नें बस इतनी भूख से, शरीफो ने जितना पेट भरने के बाद मरकब(थाली) में बचा रखा है..
होनी थी मेरे हक में दलीले उस अदालत में, जिसके मुंसिफ(जज) ने फाँसी का फंदा पहले से सजा रखा है..
थककर उस दरख्त(पेड़) की छाँव खोजता रहा 'अभिषेक', जिस शजर(पेड़) को काट अपना घर बना रखा है✒️✒️

©Abhishek Ranjan #socialism

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