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चराग़ों को मयस्सर रोशनी भी अब नहीं मेरे मौला

चराग़ों  को  मयस्सर  रोशनी भी  अब  नहीं
मेरे  मौला  जले  वो  तो  जले  किसके लिये
बदलने  वो  लगी है  आज  मौसम की तरह
दरख़्तों सा खड़े  हम  रह गए  जिसके लिये
कहा कुछ भी नहीं  यूँ अज़नबी सा  वो गया
मेरा दिल  बोझ शायद बन गया उसके लिये.

©malay_28
  #बोझ बन गया दिल
malay285956

malay_28

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#बोझ बन गया दिल #शायरी

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