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अपनापन कोई समझता अपना हमको कोई समझता गैर कोई बददुआ

अपनापन
कोई समझता अपना हमको
कोई समझता गैर
कोई बददुआ देता रहता
कोई  पूछता खैर

किसी के दिल में नफरत है तो
किसी के है अपनापन
भले किसी के दोस्त नहीं हम
नहीं किसी से बैर

ये दुनिया अथाह सागर है
तरह तरह के लोग
किसी किनारे की चाहत में
लोग रहें हैं तैर

बेखुद अपनों की तलाश में
कट जाती हैं उम्र
राहगीर के चलते चलते
तक जातें हैं पैर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अपनापन
अपनापन
कोई समझता अपना हमको
कोई समझता गैर
कोई बददुआ देता रहता
कोई  पूछता खैर

किसी के दिल में नफरत है तो
किसी के है अपनापन
भले किसी के दोस्त नहीं हम
नहीं किसी से बैर

ये दुनिया अथाह सागर है
तरह तरह के लोग
किसी किनारे की चाहत में
लोग रहें हैं तैर

बेखुद अपनों की तलाश में
कट जाती हैं उम्र
राहगीर के चलते चलते
तक जातें हैं पैर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अपनापन