नदी नदी बनने से पहले एक कुंड के रूप में होती हैऔर कुंड से रिसते रिसते एक दिन वो नदी बन जाती है और कालांतर में वो नदी बहते बहते सागर में गिर कर सागर भी बन जाती है . इसी तरह विकास का पथ पहले पगडंडी के रूप मे.होता है फिर सड़क का आकार लेता है. इसके बाद वो सड़क राजपथ बन जाती है और वो हमारी सूद्रड यात्राओं का मार्ग प्रशस्त करता है लेकिन हमारा जीवन विकास की तरफ न जाकर अविकास की ओर गति करने लगता है... जैसे पहले प्रेम प्रेम और प्रेमिका के रूप में होता है ज़ो बाद में विकसित हो कर पति पत्नी में तब्दील हो जाता है और ततपश्चात्. माता पिता बन कर एक आदर्श दम्पती का आकार ले लेता है...... लेकिन ज़ब वो दम्पति प्रौड़ हो जाता है तो उन्हे किसी वृद्धाआश्रम की शरण में भेज दिया जाता है ©Parasram Arora विकास vs अविकास