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"2019" नए साल की रात। खुशियो को बरसात। कड़ाके से ठं

"2019"
नए साल की रात।
खुशियो को बरसात।
कड़ाके से ठंड की शुरुआत।
अब तो होनी चाहिए मुलाकात।
अभी साथ हैं मिला क्या।
आपको हमसे है गिला क्या।
 ये वक़्त भी साथ गुजरेगा।
धीरे से ये बर्फ सा कठोर दिल भी फिघलेगा।
विवेक सिंह राजावत।





 तुम्हारी मौत के बाद आज कई बार तुम ये दिखती हो जैसे लगता हो तुम आस पास ही हो तुम मेरे और करीब हो।
"2019"
नए साल की रात।
खुशियो को बरसात।
कड़ाके से ठंड की शुरुआत।
अब तो होनी चाहिए मुलाकात।
अभी साथ हैं मिला क्या।
आपको हमसे है गिला क्या।
 ये वक़्त भी साथ गुजरेगा।
धीरे से ये बर्फ सा कठोर दिल भी फिघलेगा।
विवेक सिंह राजावत।





 तुम्हारी मौत के बाद आज कई बार तुम ये दिखती हो जैसे लगता हो तुम आस पास ही हो तुम मेरे और करीब हो।

तुम्हारी मौत के बाद आज कई बार तुम ये दिखती हो जैसे लगता हो तुम आस पास ही हो तुम मेरे और करीब हो।