White कभी कपड़े बदलता है, कभी लहज़े बदलता है मगर इस कोशिशों से,क्या कहीं शजरा बदलता है तुम्हारे बाद अब जिसका भी जी चाहे,मुझे रखले जनाज़ा अपनी मर्ज़ी से कहाँ काँधा बदलता है रिहाई मिल तो जाती है परिंदे को,मगर इतनी सफाई की गरज़ से जब कभी,पिंजरा बदलता है मिरी आँखों को पहली आखिरी हद है,तिरा चेहरा नहीं मैं वो नहीं जो रोज़ आईना बदलता है अज़ब जिद्दी मुसव्विर है,ज़रा पहचान की ख़ातिर मिरी तस्वीर का हर रोज़,वो चेहरा बदलता है शजरा = वंशावली मुसव्विर = चित्रकार ©Kumar Dinesh #GoodMorning