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दुल्हा  आया  दूल्हा आया अपनी  दुल्हन  से मिलने गुल

दुल्हा  आया  दूल्हा आया अपनी  दुल्हन  से मिलने
गुल-ए-हमेशा-बहार आया लेके दुल्हन से मिलने 

दुल्हन  से  इज़हार-ए-'इश्क़ मोहब्बत का
तोहफ़ा  -ए-  तर  आया   देने  दुल्हन  से मिलने

ना-महरम अब वाजिब-उल-'अमल नहीं
पर्दा-दरी ख़ातून न दे शौहर से दुल्हन से मिलने 

लब-ओ-आरिज़  और  लब-ए-गुलफ़ाम
गुल-ए-रुख़ को आया चूमने दुल्हन से मिलने 

विसाल-ए-महबूब से  मिलने लैल आयी हैं
न रोके मुझे कोई जाने से आया में दुल्हन से मिलने

गुफ़्त-ओ-शुनीद करने आये कुछ जनाब-ए-मन से
रुजू'-ए-क़ल्ब ख़ुश-नुमाई में आया में दुल्हन से मिलने

ज़ौजा-ए-मुकर्रमा उठा दो अब तो नक़ाब-ए-रुख़ को 
हूं  में  बेचैन कब से रूख़ सार  के लिये आया में दुल्हन से मिलने 

रू-ब-रू  हूं  में "ज़ुबैर"हुस्न-ओ-'इश्क़ के
कहूं  कैसे में आया अपनीय दुल्हन से मिलने




लेखक - ज़ुबैर खांन.........📝

©SZUBAIR KHAN KHAN Dullhan

Writer - zubair khan 

#kissday
दुल्हा  आया  दूल्हा आया अपनी  दुल्हन  से मिलने
गुल-ए-हमेशा-बहार आया लेके दुल्हन से मिलने 

दुल्हन  से  इज़हार-ए-'इश्क़ मोहब्बत का
तोहफ़ा  -ए-  तर  आया   देने  दुल्हन  से मिलने

ना-महरम अब वाजिब-उल-'अमल नहीं
पर्दा-दरी ख़ातून न दे शौहर से दुल्हन से मिलने 

लब-ओ-आरिज़  और  लब-ए-गुलफ़ाम
गुल-ए-रुख़ को आया चूमने दुल्हन से मिलने 

विसाल-ए-महबूब से  मिलने लैल आयी हैं
न रोके मुझे कोई जाने से आया में दुल्हन से मिलने

गुफ़्त-ओ-शुनीद करने आये कुछ जनाब-ए-मन से
रुजू'-ए-क़ल्ब ख़ुश-नुमाई में आया में दुल्हन से मिलने

ज़ौजा-ए-मुकर्रमा उठा दो अब तो नक़ाब-ए-रुख़ को 
हूं  में  बेचैन कब से रूख़ सार  के लिये आया में दुल्हन से मिलने 

रू-ब-रू  हूं  में "ज़ुबैर"हुस्न-ओ-'इश्क़ के
कहूं  कैसे में आया अपनीय दुल्हन से मिलने




लेखक - ज़ुबैर खांन.........📝

©SZUBAIR KHAN KHAN Dullhan

Writer - zubair khan 

#kissday