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जिधर देखो उधर ही झूठ का बाजार लगा है थोड़ा सा इस पा

जिधर देखो उधर ही झूठ का बाजार लगा है
थोड़ा सा इस पार लगा है,थोड़ा सा उस पार लगा है।
आदमी क्या देगा भला दूसरे आदमी को!
जबकि हर मंदिर मस्जिद मांगने वालों का दरबार लगा है।
मेरी भी बोली खूब लगी लेकिन मैं कभी बिकी नहीं
इसलिए तो मेरा वजूद दुनिया को बेकार लगा है।

©निम्मी की कलम से
  #झूठी_दुनियाँ  #कीमतीशख्स