किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं +++++++++++++++++++++ तुम्हें किस नाम से मैं पुकारू , किन शब्दों से तुम्हें प्यार से मारूं। तुम्हें जहर कहूं या अमृत का प्याला , खुद को खुद हो तुम मारने वाला । सनातन धर्म आत्मा है तड़पती धरती का , शायद तुम ही अंत हो सनातन संस्कृति का । तुम पर पत्थर से प्रहार करूं या फूल से मारूं , किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारुं । तुम्हें किस नाम से मैं पुकारूं , किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं । किन शब्दों से मैं तुम्हें सवारूं ।। ***************************** प्रमोद मालाकार की कलम से ************************** ©pramod malakar #किन शब्दों से मैं तुम्हें प्यार से मारूं।