भगवान भी खेले है जिस पावन धरा की गोद में। जिसपे बचपन है जिया, खुद कृष्ण ने प्रमोद में। जिसकी धरती स्वर्ग से बढ़कर कही थी राम ने। जिसकी धरती धन्य कर दी तीर्थो और धाम ने। जिसको सींचा है सदा गंगा सी सरिताओ ने। जिसकी महिमा गाई है कवियों की कविताओं ने। जिसकी धरती गूंजती है वीरों के गुणगान से। धन्य हूं अस्तित्व मेरा है उस हिंदुस्तान से। "लकी" हूं जो जिंदगी ये इस धरा पर पाई है। "लकी" हूं जो इसकी खिदमत मेरी किस्मत अाई है। ©️रूपेश सिंह लकी #इंडिया #India #Desh