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क्या जानते हो तुम प्रेम के निराकुश क्षणों में कित

क्या  जानते हो तुम
प्रेम के निराकुश क्षणों में
कितनी मधुर होजाती हैँ जलन

फिर प्रेम की इस आत्यंतिक घड़ी में
न तुम बच पाते  न हम

कितना  सुखद  हो जाता हैँ मरण  भी फिर
ज़ब अधरों के रस  कंणो से भी
तृप्त नही हो पाते  ये मधुर क्षण

©Parasram Arora निअंकुश क्षण....
क्या  जानते हो तुम
प्रेम के निराकुश क्षणों में
कितनी मधुर होजाती हैँ जलन

फिर प्रेम की इस आत्यंतिक घड़ी में
न तुम बच पाते  न हम

कितना  सुखद  हो जाता हैँ मरण  भी फिर
ज़ब अधरों के रस  कंणो से भी
तृप्त नही हो पाते  ये मधुर क्षण

©Parasram Arora निअंकुश क्षण....

निअंकुश क्षण....