खोखले वादों से बोलो क्या मिलेगा, पंक बिन पंकज बताओ कब खिलेगा, झूठ की तहरीर देते फिर रहे हो, सत्य का सूरज न बादल ढक सकेगा, जल प्रलय का दृश्य आए दिन है घटता, कुपित हो कर प्रकृति ऐसे ही छलेगा, कट रहे नित पेड़ जंगल जल रहा है, बोया जैसा बीज माज़ी भी चखेगा, अपने पैरों में कुल्हाड़ी मार मत ख़ुद, कटे पैरों से भला क्या चल सकेगा, मत लगाओ आग नफ़रत के मुतासिर, लपटों की जद में तेरा भी घर जलेगा, कर भला तो हो भला का मंत्र 'गुंजन', जपो जीवन से सकल संकट टलेगा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सकल संकट टलेगा#