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पिसते रहे हम जमाने से पर अब इस अंधेरे से निकलना ब

 पिसते रहे हम जमाने से पर अब इस अंधेरे से निकलना बाकी है
रूह कांपती हैं पुराने जमाने के हैसियत से अब इन है हैसियतों को बदलना बाकी है।।

©Pragati Singh
  #banjaranheartbeat #शायरी