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नारियों थामो खड्ग पौरूष सभी का सो गया। मान नारी

नारियों थामो खड्ग पौरूष सभी का  सो गया।
मान  नारी  का  गया  है युद्ध  निश्चित  हो गया।।

भूल  बैठे  हैं सभी धृतराष्ट्र  की उस  भूल  को।
याद कर लो याद से जो  याद से  ही  खो गया।।

द्रौपदी थी कल जहाँ पर आज अब भी है वही।
हो  गया  है  नाश  उसका  चीर हरने  जो गया।।

है  नही  आँखों  में  पानी  शर्म  की इक बूँद भी।
सोच कर यह बात मेरा मन बिलख कर रो गया।।

शाख  टूटी  आश  टूटी  अस्मिता  भी  लूट  ली।
फिर कली के पाँव में एक खार को भी बो गया।।

©Raj Guru
  #संवेदनहीनता  Bhavana kmishra Neha verma शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Anupriya Puja Udeshi