लो चुनाव अब आ गए,वादे हुए हजार। साड़ी कंबल मिल रहे,जनता को उपहार।। नौ दो ग्यारह हो गए, नेता कहकर बात। जनता रोती रह गई,दिखा गये औकात।। कुर्सी पाकर हे सखे,करते हैं आराम। बिलख रही जनता यहाँ,होते नहिं कुछ काम।। नेता ऐसा चाहिए, सबकी सुने पुकार। जनता से मिलता रहे,बैठे ना(मत)बेकार।। जनता की सरकार हो,जनता का हो ध्यान। जनता से जनतंत्र का, बढ़ता जाता मान।। . #स्वरचित ठा.सुभाष सिंह,कटनी म.प्र. @सर्वाधिकार सुरक्षित