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मैं कैसे मान लूँ कि इश्क़ बस इक बार होता है तुझे

मैं कैसे मान लूँ कि इश्क़ बस इक बार होता है 
तुझे जितनी दफ़ा देखूँ मुझे हर बार होता है 

तुझे पाने की हसरत और डर ना-कामियाबी का 
इन्हीं दो-तीन बातों से ये दिल दो-चार होता है 

अगर है इश्क़ सच्चा तो निगाहों से बयाँ होगा
ज़बाँ से बोलना भी क्या कोई इज़हार होता है

@imbhaskarshukla

©Anand Raj Anand
  #Flower ✍️ भाष्कर शुक्ला #anandarjak