संघर्ष तो अटल है जब नभ ही भेदना है उत्साह तो अचल है जब श्रम ही वंदना है उन्माद में यूं कैसे कोई भूल जाए पथ ये बस राह एक नई है उस फल को जीतना है कहते हैं की अहम है तुम हार मान जाओ ज्यादा करो ना चर्चा नित शीश झुकाओ मैं तो बोलत। हूं हरा के तो दिखाओ तुम गर बड़े प्रबल हो तो मुझसे जीत जाओ आ जाओ रण में तुम भी दो हाथ हो जाए संवेदना से मेरी तेरी वेदना मिलाएं जब तक नहीं मै हारा कैसे कहा अहम है जब हार मै ना माना ये बस तेरा वहम है। ©mautila registan(Naveen Pandey) #अहम