थोड़ा मुक़द्दर मिल जाये दर-ए-दिलबर से, यूँ किसी साइल को लौटाना नहीं अच्छा اا लिख आये नाम तेरा साहिल-ए-समंदर पर, लहरों सुनो उनका नाम मिटाना नहीं अच्छा اا अगर काँटा हूँ गुलाब का चुभता हूँ तो क्या है, मगर काँटों को गुलाब से हटाना नहीं अच्छा اا जो इश्क़ नहीं मुझसे तो क़ुबूल कर सच बता, यूँ रातों को 'अबीर' तेरा तड़पाना नहीं अच्छा اا दर-ए-दिलबर - महबूबा का घर, साइल - भिकारी थोड़ा सा मुक़द्दर मिल जाये... #मुक़द्दर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yqquotes #yqtales #yqlove #yqdiary